Sunday, September 28, 2008

My all time favorite

स्वयं नहीं पीता, औरों को, किन्तु पिला देता हाला,स्वयं नहीं छूता, औरों को, पर पकड़ा देता प्याला,पर उपदेश कुशल बहुतेरों से मैंने यह सीखा है,स्वयं नहीं जाता, औरों को पहुंचा देता मधुशाला।
मैं कायस्थ कुलोदभव मेरे पुरखों ने इतना ढ़ाला,मेरे तन के लोहू में है पचहत्तर प्रतिशत हाला,पुश्तैनी अधिकार मुझे है मदिरालय के आँगन पर,मेरे दादों परदादों के हाथ बिकी थी मधुशाला।
बहुतों के सिर चार दिनों तक चढ़कर उतर गई हाला,बहुतों के हाथों में दो दिन छलक झलक रीता प्याला,पर बढ़ती तासीर सुरा की साथ समय के, इससे हीऔर पुरानी होकर मेरी और नशीली मधुशाला।
पित्र पक्ष में पुत्र उठाना अर्ध्य न कर में, पर प्यालाबैठ कहीं पर जाना, गंगा सागर में भरकर हालाकिसी जगह की मिटटी भीगे, तृप्ति मुझे मिल जाएगीतर्पण अर्पण करना मुझको, पढ़ पढ़ कर के मधुशाला।